राजस्थान हाईकोर्ट में लापता व्यक्तियों को तलाशने के लिए प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के सामने प्रार्थना पत्र पेश करने को कहा है। इसी के साथ हाईकोर्ट ने लापता युवती को तलाशने के लिए दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित कर दिया। न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश सीके सोनगरा की अवकाशकालीन खंडपीठ ने यह निर्देश सेडूराम की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिए हैं। याचिका में कहा था कि उसकी बेटी एक जून को लापता हो गई थी जिसकी रिपोर्ट दो जून को दर्ज कराई। बेटी को अज्ञातजन ने बंधक बनाकर रख रखा है। इसलिए उसकी बेटी का पता लगाकर उसके सुपुर्द करवाया जाए। सरकारी वकील मंगलसिंह सैनी ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 97 के तहत प्रावधान है कि यदि कोई जिला मजिस्ट्रेट या प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के समक्ष लापता व्यक्ति की तलाश के लिए प्रार्थना पत्र पेश करता है तो उसे यह अधिकार है कि वह बंधक बनाए गए व्यक्ति की तलाश के लिए सर्च वारंट जारी कर सकता है। ऐसे में इस तरह के मामले सीधे हाईकोर्ट नहीं आने चाहिए। जिस पर अदालत ने सरकार की दलीलों से सहमत होकर प्रार्थी को संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रार्थना पत्र दायर करने के लिए कहा।
The Voice Of Justice
No comments:
Post a Comment